Vrindavan Chandrodaya Temple, Mathura, UP

वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर

Vrindavan Chandrodaya Temple, mathura
           वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर उत्तर प्रदेश के वृन्दावन में भगवान कृष्ण को समर्पित एक मंदिर है जो अभी निर्माणाधीन है। इसे इस्काॅन की बैंगलोर इकाई के संकल्पतः कुल RS 300 करोड़ की लागत से निर्मित किया जा रहा है। इस मंदिर के मुख्य आराध्य देव भगवान कृष्ण होंगे। इस मंदिर का सबसे विशिष्ट आकर्षण यह है कि योजनानुसार इस अतिभव्य मंदिर की कुल ऊंचाई करीब ७०० फुट यानी २१३ मीटर (जो किसी ७०-मंजिला इमारत जितना ऊंचा है) होगी जिस के कारण पूर्ण होने पर, यह विश्व का सबसे ऊंचा मंदिर बन जाएगा। इसके गगनचुम्बी शिखर के अलावा इस मंदिर की दूसरी विशेष आकर्षण यह है की मंदिर परिसर में २६ एकड़ के भूभाग पर चारों ओर १२ कृत्रिम वन बनाए जाएंगे, जो मनमोहक हरेभरे फूलों और फलों से लदे वृक्षों, रसीले वनस्पति उद्यानों, हरी लंबी चराईयों, हरे घास के मैदानों, फलों का असर पेड़ों की सुंदर खा़काओं, पक्षी गीत द्वारा स्तुतिगान फूल लादी लताओं, कमल और लिली से भरे साफ पानी के पोखरों एवं छोटी कृत्रिम पहाड़ियों और झरनों से भरे होंगें, जिन्हें विशेश रूप से पूरी तरह हूबहू श्रीमद्भागवत एवं अन्य शास्त्रों में दिये गए, कृष्णकाल के ब्रजमंडल के १२ वनों (द्वादशकानन) के विवरण के अनुसार ही बनाया जाएगा ताकी आगंतुकों (श्रद्धालुओं) को कृष्णकाल के ब्रज का आभास कराया जा सके। ५ एकड़ के पदछाप वाला यह मंदिर कुल ६२ एकड़ की भूमि पर बन रहा है, जिसमें १२ एकड़ पर कार-पार्किंग सुविधा होगी, और एक हेलीपैड भी होगा।


इतिहास


Vrindavan Chandrodaya Temple१९७२ में अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ के संस्थापकाचार्य, श्रील प्रभुपाद, ने श्री रूपा गोस्वामी के भजन कुटी के सामने युक्लता वैराग्य के सिद्धांत की चर्चा अपने दर्जन भर पश्चिमी शिष्यों के समक्ष की थी, जो उस समय उनके साथ वृंदावन की यात्रा पर थे। इसी यात्रा के दौरान उन्होंने अपने अंग्रेज़ी मूल के शिष्यों से यह कहा था :
जिस प्रकार, आप के देशों में (पश्चिम में) लोगों की गगनचुमबी इमातें बनाने की प्रवृत्ति होती है, इस प्रवृत्ति को आपको केवल गगनचुम्बी इमारतें बनाने के लिये ही नहीं, बल्कि इस प्रवृत्ति का उपयोग आप भगवान श्री कृष्ण के लिये एक बड़े भव्य गगनचुम्बी मंदिर का निर्माण करने के लिये कर सकते हैं। ऐसा कर के आप अपने भौतिकवादी कार्यों को शुद्ध व पवित्र कर सकते हैं। - श्रील प्रभुपाद, 29 अक्टूबर 1972
आचार्यजी के इसी भावना की पूर्ति के लिये इस्काॅन के सदस्यों ने भगवान कृष्ण के लिये इस गगनचुम्बी मंदिर के निर्माण का संकल्प लिया था। इस मंदिर का शिलान्यास 16 मई होली की पावन अवसर पर हुआ था।




संरचनात्मक विवरण

Vrindavan Chandrodaya Templeमुख्य मंदिर की रूपाकृती पारंपरिक 
नागरा वास्तुशैली और आधूनिक वास्तुशैली का मिश्रण है। इसके शिखर की ऊंचाई ७०० फ़ीट होगी जो किसी ७०-मंज़िला ईमारत जितना ऊंचा होगा। इस भवन का भूमीस्पक पदछाप ५एकड़ का होगा। मंदिर का आधार-भाग मूलतः नागरा शैली में बनाया जाएगा एवं शिखर किसी आधूनिक गगनचुम्बी ईमारत की आकृती का होगा, जिसमें पारंपरिक और आधूनिक शैली का मिश्रण देखा जा सके गा। साथ ही शिखर की मुहार में कांचयुक्त आवरण भी होगा। शिखर की संरचना के केंद्र से एक सुरंग गुज़रेगी जिसमे से आगंतुक एक बबल-लिफ्ट की मदद से चर्मोत्कर्ष पर स्थित दर्षण पटल तक जा सकेंगे जिसपर से पूरे ब्रजमंडल का मनमोहक दृश्य दखा जा सकेगा। इसके अलावा संपूर्ण परिसर में १२ कृत्रिम वन होंगे जिनहें भागवद पुराण के विवरणानुसार फूलों और फलों से लदे वनस्पती उद्यानों, लंबी चराईयों, हरे मैदानों और कमल और लिली से भरे पोखड़ों और पहाड़ियों के साथ बनाया जाएगा। पूरा परिसर २६ एकड़ की भूमी पर फैला होगा और इसमें १२ एकड़ की पार्किंग सुविधा भी उप्लब्ध होगी।





निर्माणकार्य विशिष्टताएं

इस निर्माण परियोजना के संरचनात्मक डिजाइन सलाहकार आईआईटी दिल्ली के सिविल इंजीनियरिंग विभाग से हैं और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट थार्नटन टाॅमासेटी, संयुक्त राज्य अमेरिका है। मुख्य वास्तुकार हैं इन'जीनियस स्टूडियो प्रा० लि०, गुड़गाँव एवं क़विंटेस्सेन्स डिज़ाइन स्टूडियो, नौएडा कृत्रिम वनों के निर्माण के लिये जिम्मेदार हैं।


Vrindavan Chandrodaya Templeएचवीएसी (हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग) गुप्ता कंसल्टेंट्स ऐंड एसोसिएट्स द्वारा स्थापित किया जाएगा एवं सभी विद्युत उपकरण और तारें डबल्यूबीजी कंसल्टेंट्स की मदद से लगाई जाएंगी। बेहरा एंड एसोसिएट्स को पीएचई और आग परामर्शदाता के रूप में शामिल किया जाएगा। मुख्य मंदिर के शिखर में(प्रवेश द्वार पर पारंपरिक नागरा वास्तुकला के आलावा) ७०वीं मंजिल तक कंच-युक्त मुहार के तत्व होंगे। मंदिर के इस पहलू के निर्माण के लिये मुंबई के भवन-आवरण विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। एलडीपी प्रा० लिमिटेड , ऑस्ट्रेलिया प्रकाशआभा डिज़ाइन परामर्शदाता के रूप में निर्माण परियोजना में शामिल होगी एवं आरडब्ल्यूडीआई(RWDI) (कैनडा-भारत) पवन सुरंग विश्लेषण संबंधित परामर्श प्रदान करेंगे। पिंकर्टन (अमरीका-भारत) पूरे मंदिर के लिए भौतिक सुरक्षा परामर्श प्रदान करेगा। हरियाणा के ग्रीन हाॅराईज़न कन्सल्टिंग एलएलपी ग्रीन बिल्डिंग सुविधा और बिल्डिंग ऊर्जा सिमुलेशन का ख्याल रखेंगे। दिल्ली की एचपीजी कंसल्टिंग एक अपशिष्ट प्रबंधन(वेस्ट मैनेजमेंट), रसोई और वाह सलाहकार के रूप में इस परियोजना का एक हिस्सा होगा। डनबर और बोऽर्डमैन , लंदन, कार्यक्षेत्र परिवहन सलाहकार(वर्टिकल-ट्रान्सपेर्ट कंसल्टेन्ट) के रूप में इस परियोजना में शामिल किया जाएगा।






इस मंदिर का शिलान्यास 16 नवम्बर 2014 को महामहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा हुआ था, इसका निर्णय मधू पंडित दास के साथ हुई उनकी चरचा में लिया गया था। मंदिर मौजूदा तौर पर निर्माणाधीन है।

















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